या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi

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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi

सरस्वती जयंती के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं या कुंदेंदुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना यह सरस्वती वंदना काफी फेमस है और ज्यादातर स्कूलों में उपयोग में लाई जाती है और सुबह सुबह स्कूल खोलने से पहले इस प्रार्थना का वंदन किया जाता है यदि आप चाहे तो किसी राष्ट्रीय पर्व में इस प्रार्थना को अपनी प्रस्तुति में प्रस्तुत कर सकती हैं इसीलिए आज हम लेकर आए हैं या कुंदेंदुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना का अर्थ सहित व्याख्या जिसे पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं और आप सरस्वती वंदना को याद कर सकते हैं।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना फोटो | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image

देवी सरस्वती ज्ञान, कला, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं।  उनके भक्तों को ज्ञान, संगीत, गायन, रचनात्मकता और सद्भाव का वरदान प्राप्त है।  वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती पूजा मनाई जाती है क्योंकि इस त्योहार को सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है।  रेग वेद में, देवी सरस्वती का उल्लेख सबसे पहले महान भगवान ब्रह्मा की पत्नी के रूप में किया गया है।  चार वेद मां सरस्वती की संतान हैं।  ज्ञान से संबंधित हर चीज जैसे कलम, कागज, संगीत वाद्ययंत्र आदि का उपयोग देवी सरस्वती की पूजा में किया जाता है।  इस ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ब्रह्मांड में धर्म और कानूनों को बनाए रखने के लिए देवी सरस्वती ज्ञान की मदद लेते हैं।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना फोटो | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा (श्लोक 1)


आशासु राशीभवदंगवल्ली

भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम्

मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं

वन्देSरविन्दासनसुन्दरि त्वाम् (श्लोक 2)

शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे

सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं क्रियात् (श्लोक 3)


सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्

देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: (श्लोक 4)


पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती

प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या (श्लोक 5)


शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्

हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् (श्लोक 6)


वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले

भक्तार्तिनाशिनि विरण्चिहरीशवन्द्ये।

कीर्तिप्रदेSखिलमनोरथदे महार्हे

विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम् (श्लोक 7)

श्वेताब्जपूर्णविमलासनसंस्थिते हे

श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे

उद्यन्मनोज्ञसितपंकजमंजुलास्ये

विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम् (श्लोक 8)


मातस्त्वदीयपदपंकजभक्तियुक्ता

ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।

ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण्

भूवह्निवायुगगनाम्बुविनिर्मितेन (श्लोक 9)


मोहान्धकारभरिते हृदये मदीये

मात: सदैव कुरु वासमुदारभावे

स्वीयाखिलावयवनिर्मलसुप्रलाभि:

शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम् (श्लोक 10)


ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेश:

शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावै:।

न स्यात्कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे

न स्यु: कथंचिदपि ते निजकार्यदक्षा: (श्लोक 11)


लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति:

एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वति (श्लोक 12)


सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:

वेदवेदान्तवेदांगविद्यास्थानेभ्य एव च (श्लोक 13)


सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने

विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोSस्तु ते (श्लोक 14)


यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्

तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि (श्लोक 15)

Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image photo | या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता प्रार्थना फोटो इमेज

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना फोटो | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला….. हिंदी में सम्पूर्ण अर्थ सहित व्याख्या

1: जो परमेश्वरी भगवती शारदा कुंदपुष्प, चंद्र और बर्फ के हार के समान श्वेत है और श्वेत वस्त्रों से सुशोभित हो रही है जिसके हाथों में वीणा का श्रेष्ठ दंड सुशोभित है. जो श्वेत कमल पर विराजमान है जिसकी स्तुति सदा ब्रह्मा विष्णु और महेश द्वारा की जाती है. वह परमेश्वरी समस्त दुर्मति को दूर करने वाली माँ सरस्वती मेरी रक्षा करें.

2: जिनके शरीर की कांति समस्त दिशाओं में बिखरती है, अपनी छवि से जिसने शिव सागर को भी अपना दास बना लिया है. मंद मुस्कान से जिसने शरद ऋतु के चंद्रमा को भी फीका कर दिया है. ऐसी श्वेत कमल के आसन पर विराजमान हे सुंदरी सरस्वती मैं आप की वंदना करता हूं.

3: शरद ऋतु के कमल के समान मुख वाली परमेश्वरी शारदा देवी मेरे मुखमंडल मैं हमेशा हमेशा निवास करें.

4: वाणी की देवी मां सरस्वती को मैं नमस्कार करता हूं जिनकी मात्र कृपा से मनुष्य भी देवता बन जाते हैं.

5: वह सरस्वती जो विशाल बुद्धि रूपी सोने की कसौटी है और जो वाणी से ही बुद्धिमान और मूर्ख का अंतर प्रकट कर देती है.

6:श्वेत रंग वाली ब्रह्मा के विचार के सार में लगी हुई, आदि शक्ति समस्त जगत में व्याप्त रहने वाली हाथों में वीणा और पुस्तक धारण करने वाली अभयदान को देने वाली तथा मूर्खता के अंधकार को दूर करने वाली हाथों में स्फटिक मणियों की माला धारण करने वाली श्वेत कमलासन पर विराजमान बुद्धि को देने वाली उस परम तेजस्वी मां सरस्वती के चरणों में मैं वंदना करता हूं.

7:वीणा धारण करने वाली समस्त मंगल के दान में निपुण, भक्तों की पीड़ा को दूर करने वाली तथा ब्रह्मा विष्णु शिव द्वारा वंदनीय कीर्ति एवं समस्त मनोरथ को प्रदान कर बहुमूल्य विद्या प्रदान करने वाली, भगवती माँ सरस्वती देवी के चरणों की वंदना करता हूं.

8:श्वेत कमल के स्वच्छ आसन पर बैठी हुई, वस्त्रों से सुंदर शरीर को ढके हुए, खिले हुए सुंदर, सफेद कमल के समान सुंदर मुख वाली हे देवी, संपूर्ण विद्याओं को देने वाली सरस्वती मां मैं आपके चरणों की वंदना करता हूं

9:हे माँ परमेश्वरी तुम्हारे चरण कमल की भक्ति में लगे रहकर जो लोग अन्य सबको छोड़कर तुम्हें भजते हैं वह अपने पंचभूतों से बने हुए इस शरीर से देवत्व को प्राप्त हो जाते हैं.

10:मोह और अंधकार से भरे मेरे ह्रदय में हे माता तुम उदार भाव से हमेशा-हमेशा निवास करो अपने समस्त अवयवों की निर्मल एवं सुंदर कांति से मेरे मन के अंधकार को शीघ्र ही नष्ट करो.

11:हे देवी! आपके प्रभाव से ब्रह्मा संसार को बनाते है. विष्णु उसका पालन करते हैं और आपके प्रभाव से ही शिव का संहार करते हैं. हे देवी! यदि आपकी कृपा ना हो तो पर सब अपने कर्मों में निपुण नहीं हो सकते हैं.

12:अर्थात हे मां सरस्वती, लक्ष्मी, मेघा, धरा, पुष्टि, गोरी, तुष्टि, प्रभा, धर्ति इन रूपों में मेरी रक्षा करो.

13:हे माँ सरस्वती में आपके चरणों में नित्य वंदना करता हूँ. मां भद्रकाली को नमस्कार करता हूं और वेद, वेदांत, वेदांग तथा विद्या के स्थानों को मेरा प्रणाम है.

14:हे माँ सरस्वती! आप अत्यंत भाग्यशालिनी हो. आप ज्ञान स्वरूपा हो कमल के समान एवं विशाल नेत्र वाली हे ज्ञानदात्री मां मुझे विद्या दो! मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं.

15: हे माँ अज्ञानवश, भूल से पद, अक्षर एवं मात्राओं की मुझसे कोई गलती हुई हो तो इन सभी को क्षमा करके आप परमेश्वरी कृपा करके प्रसन्न होवे!!

आपको यह या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइएगा ताकि हम आगे भी आपके लिए उसी तरह की सरस्वती वंदना और प्रार्थनाएं लेकर आते रहे।

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