एकादशी व्रत करने का क्या महत्व है | एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए | Ekadashi vrat ka mahatva in hindi

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एकादशी व्रत करने का क्या महत्व है | एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए | Ekadashi vrat ka mahatva in hindi

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है एकादशी व्रत करने से हमें बहुत से लाभ होते हैं। यदि व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा स्वस्थ और निरोगी रहना चाहता है तो उसे एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए।

एकादशी व्रत करने का क्या महत्व है | एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए | Ekadashi vrat ka mahatva in hindi

1 वर्ष में कितनी एकादशी होती है

1 महीने में दो एकादशी होती है ऐसे देखा जाए तो 1 वर्ष के अंदर 365 दिनों में 24 बार एकादशी होती है। लेकिन हर तीसरे वर्ष के बाद अधिकमास होने के कारण दो एकादशी और जोड़कर एकादशी की संख्या 26 हो जाती है ऐसा हर तीसरे साल होता है।

1. चैत्र

कृष्ण पक्ष : पापमोचनी एकादशी

शुक्ल पक्ष : कामदा एकादशी

2. वैशाख-

कृष्ण पक्ष : वरूथिनी एकादशी

शुक्ल पक्ष : मोहिनी एकादशी

3. ज्येष्ठ-

कृष्ण पक्ष : अपरा एकादशी

शुक्ल पक्ष : निर्जला एकादशी

4. आषाढ़-

कृष्ण पक्ष : योगिनी एकादशी

शुक्ल पक्ष : देवशयनी एकादशी

5. श्रावण-

कृष्ण पक्ष : कामिका एकादशी

शुक्ल पक्ष : पवित्रा एकादशी

6. भाद्रपद-

कृष्ण पक्ष : अजा एकादशी

शुक्ल पक्ष : पद्मा एकादशी

7. आश्विन-

कृष्ण पक्ष : इंदिरा एकादशी

शुक्ल पक्ष : पापांकुशा एकादशी

8. कार्तिक-

कृष्ण पक्ष : रमा एकादशी

शुक्ल पक्ष : देवप्रबोधिनी एकादशी

9. मार्गशीर्ष-

कृष्ण पक्ष : उत्पत्ति एकादशी

शुक्ल पक्ष : मोक्षदा एकादशी

10. पौष-

कृष्ण पक्ष : सफला एकादशी

शुक्ल पक्ष : पुत्रदा एकादशी

11. माघ-

कृष्ण पक्ष : षट्तिला एकादशी

शुक्ल पक्ष : जया एकादशी

12. फाल्गुन-

कृष्ण पक्ष : विजया एकादशी

शुक्ल पक्ष : आमलकी एकादशी

एकादशी का व्रत करने के लाभ को हम दो प्रकार से बांट सकते हैं

1) आध्यात्मिक फायदे और, 2)वैज्ञानिक फायदे

1) एकादशी व्रत रखने के आध्यात्मिक फायदे

यदि हम पुराणों की मानें तो पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी व्रत रखता है वह व्यक्ति जीवन में कभी भी संकटों से नहीं गिरा रहता, उसके जीवन में धन समृद्धि हमेशा बनी रहती है। एकादशी व्रत रखने वाला व्यक्ति हमेशा निरोगी रहता है। भूत प्रेत आदि का संकट भी दूर होता है। पापों का नाश होता है और संकटों से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के विवाह की बाधा समाप्त हो जाती है और धन समृद्धि आती है। मन को शांति मिलती है और मोह माया के बंधनों से मुक्ति मिलती है। ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है शत्रुओं का नाश होता है। सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है और व्यक्ति को कीर्ति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। इसीलिए लोग एकादशी का व्रत नियम अनुसार रखते हैं।

2) एकादशी व्रत रखने की वैज्ञानिक फायदे

देखा जाए तो एकादशी का व्रत हर 15 दिन में एक बार आता है पूर्णिमा और अमावस का अगला दिन एकादशी का होता है। यह वह समय होता है जब शरीर एक विशेष चक्र से गुजर रहा होता है इस समय शरीर को भोजन की कोई खास जरूरत नहीं रहती। इसीलिए यदि एकादशी के व्रत में हल्का और कम भोजन भी किया जाए तो शरीर को कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वैज्ञानिकों की मानें तो हर 15 दिन बाद होने वाली एकादशी व्रत की श्रंखला शरीर की कोशिकाओं पर ही नहीं बल्कि डीएनए पर भी प्रभाव डालती है। और कई बीमारियों से शरीर की रक्षा करती है जिससे हमारे शरीर की उम्र बढ़ती है हर 15 दिन में उपवास रखने के कारण शरीर का मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य बढ़ जाता है उपवास रखने का सबसे सही समय महीने में एकादशी को ही माना जाता है।

एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए

एकादशी का व्रत रखते समय व्यक्तियों को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। एकादशी व्रत में नमक, तेल, चावल और किसी भी तरह का अन्न वर्जित होता है। मांस मछली खाना भी इसमें पूरी तरह वर्जित होता है। एकादशी व्रत में एक ही बार भोजन किया जाता है। एकादशी व्रत के दिन किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए और ताश और जुआ खेलने से भी दूर रहना चाहिए। किसी भी स्त्री की तरफ बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए तभी जाकर आपको एकादशी व्रत का लाभ मिल पाएगा। एकादशी व्रत को रखते समय शरीर को और मन को संयम में रखना चाहिए।


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