मन की बकबक कैसे रोकें | Kaise roken man ki Bakbak ko

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मन की बकबक कैसे रोकें | kaise roken man ki bakbak ko

क्या आपका मन आपके साथ बकबक करता रहता है, क्या हम मन की बकबक को रोक सकते है? अगर आपके मन में भी यही प्रश्न उठते हैं तो चलिए देखते हैं क्यों हमारा मन हमारे साथ बकबक करता है और कैसे हम अपने मन की बकबक को रोक सकते हैं।
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कैसे रोकें मन की बकबक को  

● मन की बकबक क्या है?

दोस्तों मन की बकबक पैदा होती है ओवर थिंकिंग के कारण, जब हम किसी बात को बार-बार या लगातार सोचते है, तब हमारा मन उस एक छोटी सी बात के कई पाज़ीटिव और नेगेटिव मतलब निकल कर हमसे ही बकबक करने लगता है।

मन की बकबक कोई रोग नहीं ये बस गलत सोच, ओवर एक्ससाइटेड होना, डर और घबराहट का नतीज़ा है। क्योंकि हमारा दिमाग भावनाओं (इमोशंस) जैसे ख़ुशी, प्यार, नफरत, गुस्सा, जलन, आदि के बीच ही उलझा रहता है। एक बात ध्यान रखिएगा दोस्तों हमारे मन को सभी प्रकार की भावनाओं से खेलना अच्छा लगता है हमारे मन को  सभी प्रकार के इमोशंस चाहिए होते हैं इसीलिए बार-बार हमारा मन भटक कर एक इमोशन से दूसरे इमोशंस या सरल शब्दों में कहे सकारात्मक से नकारात्मक और नकारात्मक से सकारात्मक होता रहता है। हमारा मन हमारे दिमाग में आने वाले हर एक विचार के नकारात्मक और सकारात्मक पहलू के बारे में हमसे बहस करता है, हमारा मन इसी उधेड़बुन में लगा रहता है कि क्या सही है और क्या गलत, दिमाग कोई निर्णय नहीं ले पाता और इसी को हम मन की बकबक कहते हैं। और जो इन सब पर क़ाबू पा लेता है वो अपने मन पर भी क़ाबू पा लेता है फिर “वो मन का नहीं, मन उसका ग़ुलाम हो जाता है।” और जो एक बार अपने मन को गुलाम बना ले, या अपने मन की लगाम अपने हाथों में ले ले उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। (कहानी के बाद नीचे हम पढ़ेंगे मन की बकबक को रोकने के कुछ आसान तरीके)



● मन की बकबक को हम इस छोटी सी कहानी से समझ सकते हैं-

लघु कथा- “हमारे मन की बकबक”:-


एक व्यक्ति था जो अपनी अनियमित जीवन शैली के चलते काफ़ी मोटा होने लगा था, अपने मोटापे और लोगों के ताने सुन सुन कर वो परेशान हो चुका था, इसलिए उसने एक दिन ये निर्णय लिया कि अगले दिन से रोज़ सुबह उठ कर दौड़ने जाना है, अगले दिन जब सुबह 5 बजे उसकी घड़ी का अलार्म बजा, तो अलार्म बंद करते हुए उसके मन ने उससे कहा, कि आज रहने दे कल से शुरू करते है, और वह फिर से सो गया। और जब दोपहर हुई तब उसके मन ने उसे शर्मिंदा किया, कि तू कैसा इंसान है तेरे से एक छोटा सा काम नहीं हो सकता, तू कुछ नहीं कर सकता। ये सब सोंचने के बाद वह फिर पक्का निर्णय करता है, लेकिन अगले दिन भी वही सब रिपीट होता रहता है, और वो बेचार अपने मन की बकबक में फसता चला जाता है।

दोस्तों ये वहीं मन है जिसनें दौड़ने जाने का पक्का निर्णय किया, ये वो ही मन है जिसने आलस दिखाया, और ये वो ही मन है जो बाद में शर्मिंदा भी हुआ।” ( यही है हमारे मन की असली बकबक )

तो देखा दोस्तों आपने, कि कैसे हमारा मन हमारे साथ बकबक करता है, और इसी बकबक के चलते हम सही समय मे सही निर्णय नहीं ले पाते। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि हम अपने मन की बकबक को कैसे रोक सकते हैं।
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● मन की बकबक कैसे रोके ?


1. मन की बकबक को रोकने के लिए जरूरी है मेडिटेशन/ध्यान-

मन की बकबक को शांत करने के लिए मेडिटेशन या ध्यान सबसे अच्छा उपाय है लेकिन याद रखिए यदि आप का मन बकबक करना सीख गया है तो जब भी आप मेडिटेशन, ध्यान या शांत होने की कोशिश करेंगे तो आपका मन और भी ज्यादा बकबक करेगा, इसीलिए मेडिटेशन और ध्यान को धीरे-धीरे शुरू करें शुरुआत में कम समय लें और धीरे-धीरे अपनी अवधि बढ़ा दे, अपने अनुसार एक मंत्र या श्लोक का मन में उच्चारण करें या फिर हल्का संगीत हेडफोन पर लगा लें, इससे आपको एकाग्र होने में काफी मदद मिलेगी।

2. मन की बकबक को रोकने के लिए करना चाहिए योग-

दोस्तों आज के समय में तो कहा जाता है कि योग की ताकत से बड़ी से बड़ी बीमारियां भी ठीक हो जाती है ये तो फिर भी मन की बकबक है, आप सुबह से प्राणायाम और कुछ आसन जैसे शवासन आदि कर सकते हैं आपको इसके लिए यूट्यूब(Youtube) पर बहुत से वीडियोस मिल जाएंगे।
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3. मन की बकबक को रोकने के लिए चाहिए शांत वातावरण-

कोशिश करें अपने आसपास के वातावरण को शांत रखने की आपके पड़ोसी झगड़ते हैं, आपके पड़ोस में काफी शोर होता है तो अपनी खिड़कियों और दरवाजों को ठीक तरह से पैक करें घर पर आवाज करने वाले पंखे, हल्ला करने वाली चीजें और ज्यादा तेज म्यूजिक को अवॉइड करें।

4. मन की बकबक को रोकने के लिए सुने धीमा संगीत-

मधुर संगीत सुने या यदि आप अध्यात्म में रुचि रखते हैं तो किसी तरह के श्लोक या मंत्र भी चला सकते हैं मधुर संगीत हमारे मन को शांत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5. मन की बकबक को रोकने के लिए रखिए सकारात्मक सोच-

जब भी हम मन की बकबक की बात करते हैं तो हमारा आशय होता है मन की नकारात्मक बकबक से, जब हमारा मन हमसे सकारात्मक चीजों के बारे में बकबक करता है तब वह बकबक हमें उसकी बकबक नहीं लगती, इसीलिए अपने मन में हमेशा सकारात्मक बातें सोचें।



6. मन की बकबक को रोकने के लिए जरूरी है पर्याप्त नींद-

रोज 7 से 8 घंटे की नींद आपके मन को शांत रखने के लिए पर्याप्त है आपने गौर किया होगा जब आप ठीक तरह से सोते हैं तो उठने के कुछ घंटों तक आपके मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं आता और ना ही आपका मन आपके साथ बकबक करने की कोशिश करता है रातों में जागना ज्यादा देर तक टीवी देखना ज्यादा देर तक मोबाइल देखना बंद करें पर्याप्त नींद लें और अपने मन को शांत रखें।

7. सब कुछ आपके हाथ मे नहीं-

दुनिया में चल रही परेशानियां, नेताओं के झूठे वादे, सरकार की फालतू योजनाएं, झूठे लोग, अपराधी लोग, इन सब की चिंता छोड़ कर अपने आप में ध्यान दें एक बात याद रखें सब कुछ आपके हाथ में नहीं है जो सब कुछ इस दुनिया में बुरा हो रहा है या अच्छा हो रहा है इसके जिम्मेदार सिर्फ आप नहीं है अपने आप को एक अलग आदमी समझें और अपनी दुनिया में रहे। इससे आपके मन को काफ़ी शांति मिलेगी जबरदस्ती उड़ते तीर पर अपना ध्यान लगाना अच्छी बात नहीं।
मन की बकबक कैसे रोकें | kaise roken man ki bakbak ko


● कैसे रोकें मन की बकबक वीडियो

आप नीचे दिए वीडियो में भी मन की बकबक को समझ सकते है की कैसे हमारा मन हमारी भावनाओं के साथ खेलता रहता है और हमारे साथ बकबक करता रहता है:-

तो दोस्तों अगर आपने अपने मन में ऐसी बकबक महसूस की है, तो कमेंट में जरूर बताइयेगा, मैं आपकी पूरी मदद करने की कोशिश करूंगा।


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