जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन और कन्या भोजन कैसे कराएं | Navratri me Kanya Pujan Kanya Bhojan kaise karayen

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नवरात्रि में कन्या पूजन और कन्या भोजन कैसे कराएं | Navratri me Kanya Pujan Kanya Bhojan kaise karayen

नवरात्रों के 9 दिनों तक माता के भक्त माता की पूजा अर्चना और आरती करते हैं नियम धर्म से माता का उपवास और व्रत रखते हैं इतना सब करने के बाद यदि आखिर में कन्या भोजन और कन्या पूजन ना कराया जाए तो भक्तों को माता का पूरा आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता। इसीलिए जब कभी आप नवरात्रि का व्रत रखें नवरात्रि के आखिरी दिनों में कुंवारी कन्याओं को जिनकी उम्र 2 से 10 साल हो ऐसी कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन करवाएं और कन्याओं से आशीर्वाद प्राप्त करें। छोटी कन्याओं को माता का ही रूप माना जाता है और माता की तरह ही उन्हें चुनरी उठा कर उनकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि में कन्या पूजन और कन्या भोजन कैसे कराएं | Navratri me Kanya Pujan Kanya Bhojan kaise karayen
Navratri me Kanya Pujan Kanya Bhojan kaise karayen

नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे करें

1.पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार नवरात्र के अंतिम दो दिनों (अष्‍टमी और नवमी) के दिन कन्‍या पूजन करना सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है।

2. शास्‍त्रों में बताया गया है कि कन्‍या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की कन्‍याओं को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है। 

3. वैसे तो नवरात्र में कन्‍या भोज के लिए कन्याओं की आदर्श संख्‍या 9 होती है, लेकिन लोग अपनी सामर्थ्‍य और श्रद्धा के अनुसार कम या फिर ज्‍यादा कन्‍याओं को भी भोजन करवा सकते हैं।

4. 9 कन्‍याओं को मां दुर्गा के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है और इन सभी के नाम भी अलग-अलग होते हैं।

पौराणिक और हिंदू शास्त्रों की मान्‍यताओं के अनुसार कन्याओं को माता का रूप माना जाता है

2 साल की कन्‍या को कन्‍या कुमारी, 

3 साल की कन्‍या को त्रिमूर्ति, 

4 साल की कन्‍या को कल्‍याणी, 

5 साल की कन्‍या को रोहिणी,

6 साल की कन्‍या को कालिका, 

7 साल की कन्‍या को चंडिका, 

8 साल की कन्‍या को शांभवी और 

9 साल की कन्‍या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। 

10 साल की कन्‍या को सुभद्रा कहा जाता है।

नवरात्रि में कन्या भोजन कैसे कराएं 

1.कन्या पूजन के दौरान 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन कराना चाहिए. कन्याओं की संख्या नौ होनी चाहिए क्यों​कि इन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों की संज्ञा दी जाती है. साथ में एक छोटे बालक को भी भोज कराना चाहिए. बालक को भैरव बाबा का रूप माना जाता है और लांगुर कहा जाता है।

2. कन्या भोज के लिए कन्याओं को पहले से आमंत्रित करें और ससम्मान घर बुलाएं. घर आने पर उन पर फूल बरसाकर उनका स्वागत करें. एक थाल में पानी या दूध लेकर उनके पैर धुलवाएं और स्वच्छ आसन पर उन्हें बैठाएं। इसके बाद सभी कन्याओं को तिलक लगाएं।

नवरात्रि में कन्या भोजन में क्या खिलाएं

1.कन्याओं को भोजन परोसने से पहले मां दुर्गा का भोग लगाना चाहिए। 

2. कन्याओं को भोजन में खीर-पूड़ी, हलवा-चना का प्रसाद जरूर खिलाएं।

3. इसके बाद उन्हें मस्तक पर तिलक लगाएं, हाथों में कलावा बांधें और दक्षिणा, वस्त्र पैसे आदि भेंट करें।

5. प्रसाद में कन्‍याओं को खीर, पूरी, हलवा, चना देना चाहिए और आदर पूर्वक उनके पांव धोने चाहिए।

6. आखिर में सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. खुशी खुशी कन्याओं की विदाई करें, इसके बाद अपना व्रत खोलें। 

देवी पुराण और शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्र में मां दुर्गा जितना प्रसन्‍न कन्‍या भोज और पूजन से होती हैं उतना प्रसन्‍न हवन और दान करने से भी नहीं होती हैं।

नवरात्रि के दिनों में छोटी कन्याओं का पूजन करने उन्हें भोजन कराने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से बहुत लाभ होता है। माता रानी ऐसे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। इसीलिए शुरुआत से ही ये मान्यता चलती आ रही है कि नवरात्रि के आखिरी दिनों में कन्याओं को भोजन जरूर कराया जाता है।

Note - ऊपर बताई गई जानकारी को हिंदू पंचांग, हिंदू शास्त्रों, हिंदू कथा कहानियां, देवी पुराण आदि से लिया गया है इसीलिए  ऊपर बताई गई बातों की सत्यता का प्रमाण हमारी वेबसाइट नहीं लेती।

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